वास्तुशास्त्र में गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना , पूजन एवं आवासीय शुद्धिकरण के लिए विशेष महत्तव है, इसलिये वास्तु दोषों को दूर करने हेतु दोष वाले स्थान पर गणेश जी की मूर्ति लगाने का विशेष विधान है। वास्तु शास्त्र में गणेश भगवान का विशेष स्थान क्यों है यह समझाना अत्यंत आवश्यक है , भूखंड के देवता वास्तु देव माने गये हैं ,वास्तु देव की उत्पति भगवान शंकर के पसीने से हुई है ,इसलिए वास्तु देव और गणपति दोनों भाई हुए , किसी भी पूजन में गणेश जी की प्रथम पूजा होती है ,गणेश जी विघ्न विनाशक हैं । संसार का हर व्यक्ति चाहता है की उसके घर ,दुकान ,व्यावसायिक संस्थान ,फेक्टरी में किसी भी प्रकार का कोई भी विघ्न उपस्थित न हो ,तो इसीलिए गणेश जी की मूर्ति घर के अंदर की ओर मुख्य प्रवेश द्वार में स्थापित करने का विधान है । गणेश जी को घर के बाहर की ओर कभी भी स्थापित न करें ,ऐसी मान्यता है की गणेश जी दृष्टी में अमृत धारा है और गणेश जी पीठ में दरिद्रता है ,इसलिए गणेश जी का पीठ घर की ओर न हो इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए । वैसे तो गणेश जी अनेक प्रकार की धातुओं के बनाये जाते हैं जिन में सभी के अपने अलग अलग प्रभाव हैं.लेकिन स्वेत आर्क का वास्तु गणेश सभी प्रकार के दोषों को मुक्ति हेतु सबसे सरल तथा मनोकामना सिद्ध करनेवाला कहा जाता है।
स्वेत आर्क एक ऐसा पौधा होता है जिसको हिंदू दर्शन के अनुसार साक्षात् ही गणेश का रूप कहा जाता है ,इस पौधे में अनेक औषधीय एवं दैविक गुण होने के साथ साथ एक विशेष यह भी गुण है कि इसकी जड़ में स्वयं गणेश जी की आकृति बनी होती है। अगर जड़ को ध्यान से देखा जाए तो इसके बराबर में निकली दो शाखाएँ गणेश जी के दो दातों का कार्य करती हैं एवं इस से आगे का भाग साक्षात् गणेश जी का रूप बना देता है।
.क्या आप वास्तु-शास्त्र में रूचि रखते हैं ,,,,,,,,,? क्या आप वास्तु शास्त्र सीखना चाहते हैं .......वो भी नि :शुल्क .....?क्या आप वास्तु सलाहकार हैं ,क्या इस मंच के माद्यम से वास्तु की जानकारी देना चाहते हैं ----?
Are you interested in VASTU SHASTRA ? ……interested to discuss VASTU …? ,join VASTUASHISH.ग्रुप ,,,,,,क्योंकि इसमें है वो सब जानकारी जो आपके प्रश्नों पर आधारित है ,,